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कहते हैं कि…….
निजाम बदलने के बाद इंतजाम भी बदल जाता है।
या यूं कह लें कि ….
बक्त बदला है तो इजहार बदलने होंगे,
अब फसाने के हर किरदार बदलने होंगे।
बदलाव की बयार तो उत्तर प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही चलने लगी,
बात चाहे योजनओं के नाम बदलने को हों या जिलों के। मगर इसके साथ एक बदलाव हुआ स्वास्थ महकमें में एम्बुलेंस सेवा के नाम बदलने में। बसपा सरकार में मुख्यमंत्री महामाया सचल अस्पताल योजना के जगह समाजवादी एम्बूलेंस।
नम्बर भी बदला अब 108,
इस बदलाव में प्रदेश में सैकडों की तायदाद में कहें या हजारों की…
बसपा सरकार की एम्बूलेंस अब सरकारी अस्पतालों की सिर्फ जीनत भर बन कर रह गयीं हैं। अनकरीब ये कबाड में भी तबदील हो जायेंगी।
सबाल यहां ये है कि बदलाव अगर ऐसा होता है तो फिर इस बदलाव से जनता को क्या सरोकार।
करोडों रूपये बदलाव के नाम पर बर्बाद!
कौन होगा जिम्मेदार…………?
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