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एक तरफ गुजरात में भाजपा की सरकार बम्पर बहुमत से बन रही थी तो दूसरी तरफ हिमाचल में कांग्रेस की आमद हो रही थी। दिन था 20 दिसंबर का। शाम के वक्त एक न्यूज चैनल पर चल रहे डिवेट में भाजपा व कांग्रेस के सांसद समेत कई राजनैतिक व सामाजिक हस्तियां भाग ले रहीं थी। जिसे पूरा देश ही नही दुनियां के लोग देख रहे थें। बहस के शुरूवात में दोनों नेताओं ने एक दूसरे से अच्छे सम्बंध होने का भी हवाला दिया था। अचानक बहस इतना ओछा हो गया कि लोकतांत्रिक मर्यादा का बलात्कार ही हो गया! भाजपा की महिला सांसद ने कांगेस के सांसद से उनकी पूरानी पार्टी पूछा तो उन्होने ठुमके लगाने का मुद्दा ही उठा दिया। बहस अमर्यादित हो गई। देश की जनता के साथ लोकतंत्र में आस्था रखने वाले शर्मशार हो गये।
बात यहीं खत्म नहीं हुई। शर्म तो सिर्फ जनता व भद्रजनों को आई इन राजनेताओं को नहीं। आनन-फानन में एक दल के नेता ने दूसरे दिन बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर के दूसरे पार्टी के आला कमान से माफी मांगने का फरमान जारी कर दिया साथ ही माफी न मांगने पर महिला नेताओं के आंदोलन की धमकी भी दे दी। मामले का पूरा राजनीतिकरण कर दिया गया। एक-दूसरी को नीचा दिखाने का गोरिल्ला युद्ध जारी है!
सवाल यहां ये जेहन में आता है कि देश के सबसे बडे पंचायत के पंचों का आचरण मीडिया के सामने ऐसा है तो सदन में धक्का-मुक्कि का होना लाजमी है! सदन में मंत्री के हाथ से छीनकर बिल फाड देना। सदन में हंगामा खडा करना तो इनके लिए आम बात है। आज पूरा देश दिल्ली में एक लडकी के साथ हुए गैंग रेप से आक्रोशित है मगर इन तथाकथित नेताओं को आपसी बेहूदगी पर तनिक अफसोस नही! इन्हे अपने किए कृत पर तनिक शर्मिंदगी नहीं होती! गैरत नाम की चीज नहीं कि इस घृणित आचरण के लिए जनता से माफी मांगे की बजाए इसका राजनीतिकरण किया जा रहा है।
अरे नेताओं शर्म करो कि विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के सदस्य होने के बावजूद ऐसा आचरण करते हो वो भी सरेआम चैनल पर। इससे तुम्हारा तो कुछ नहीं होगा मगर देश के एक सौ बीस करोड जनता का सिर शर्म से झुक जाता है। यह लोकतांत्रिक मर्यादा का बलात्कार नही तो क्या है? ऐसी घटनाओं पूरी दुनियां में हमारे लोकतंत्र की छवि कैसी होगी? आखिर तुम में व दिल्ली के गैग रेपिस्टों में क्या अंतर है? क्यों खिलवाड कर रहे हो इस पवित्र लोतंत्र के आत्मा के साथ? आखिर हमारी आस्था का अपमान कब तह होगा?
क्षमा करो अगर कुछ बुरा लगे तो।
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